------(3)------ वो सब मदन जानता था। कि बहुत कुछ सहना भी जिंदगी है, सहने मे जो सब्र मिलता है, सकून मिलता है.. वो शायद कभी न मिल सके। जो वक़्त के हिसाब से नहीं चलता, वो करारी हार खा जाता है.... " साहब, सेबो की पुताई मे बस एक हफ्ता रह गया है...." माली काका ने कहा!!! " हां खूब, ट्रक लोड कराते वक़्त याद रखना, काका, पर्ची की गलती आगे की तरा मत करना। " माली काका