...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!द्रक्षता उन्हें देख हैरान रह जाती है.....क्योंकि उनके सामने खड़ी महिला जो मंदिर में मिली थी.....वही थी.....सुरुचि उसे देख मुस्कुरा रही थीं.....वोह द्रक्षता को प्यार से बोली:लगता हैं.....पहचान लिया आपने हमें.....!!उनकी आवाज सुन द्रक्षता को वास्तविकता का आभास हुआ.....तभी मान्यता बोली:द्रक्षता.....यह मिसेज सुरुचि सिंह राजपूत है.....!!मान्यता की बात सुन.....उसने भी अपनी मधुर आवाज में सुरुचि से कहा:जी आंटी.....हमने आपको देखते ही पहचान लिया.....एंड आपके साथ एक दादी भी थी.....वो नहीं दिख रही.....!!सुरुचि उसे एक ओर इशारा करते हुए:मां वहां है.....अपनी सहेलियों से बात कर रही हैं.....क्या तुम्हे उनसे मिलना है.....!!द्रक्षता हां में सिर हिला देती है.....तोह सुरुचि मान्यता