बीते न रैना भाग - 2

                " बीते न रैना "                     (2) जीप का सफर भी कितना थकाने वाला था, ये फिरोज को ही पता था.... मेहरा साहब तो अलबेले व्यक्ति थे।साय काल हो गया था... सूर्य अस्त पहाड़ो की चोटियों के पीछे इतना सुन्दर दृश्य.... जैसे कोई चित्रकार केन्वेंस पे उतार ले। टरू टरू की गति किर्या शुरू हो चुकी थी... शत शत शांत वातावरण मे सर्द हवा का झोका कभी कभी आ जाता था। जीप रहन बसेरा मे लगाने के पश्चात मेहरा साहब ने पूछा, " ये सेबो