बीते न रैना भाग - 1

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 --------------------- बीते न रैना ---------------- भूमिका         कुछ हटकर जो हो रहा साहब, हम उसके बारे कहने का दूसहास किया है, इस के लिए कुछ भी घटिकत हो जाए। होने दो। भूमिका सोचते हो पता चल गयी हरगिज नहीं।कहने का तातपर्य कुछ ये है। बम्बे जाना ही होगा। " मेहरा साहब वही रहते है " उनका मित्र फिरोज बोला था। सोच रहा था फुरसत के वो दिन, जो शिमले मे उनके साथ गुजारें थे उनके रेहन बसेरे मे, वो शांत माहौल, पहाड़ी वादियों मे गिरते झरने का पानी, कन.. छन.. करता गिरता कितना मन को शांति देता था।