सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 8

बुआ जी ने हिम्मत कर दरवाजे को खोला और जैसे ही दोनों आगे बढ़ी और नजर बेड पर लेटे इंसान पर गई तो एकदम से ही दोनों लड़खड़ा गई और आँखों से झरझर आंसू बह निकले।क्योंकि बेड पर मशीनों से घिरे शिवराज जी बेहोश लेटे थे, मुँह पर ऑक्सीजन मास्क लगा था और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, और चेहरे, हाथों पर चोटों के निशान थे! उन्हें ऐसे चोटिल और बेहोश अवस्था देख वो दोनों ही स्तब्ध रह गई। उन दोनों की ही सोचने समझने की स्थिति जैसी खत्म हो गई थी, उनकी आँखों से आंसू लगातार बहते जा