क्रांति चाहती थी कि अपनी माँ को सब बता दे। उसके कंधे से लिपटकर सारा दुख बहा दे, परंतु वह यह भी जानती थी यदि सच्चाई उन्हें बता दी तो बस यही हॉकी का अंतिम दिन होगा। अपने आप को संभालते हुए उसने कहा, "हाँ मम्मी बात कुछ और भी है।" "वह क्या है क्रांति?" "मम्मी हमारी टीम ने तीन गोल मारे थे, उनकी टीम ने भी तीन गोल किए थे। समय केवल 3 मिनट ही बाक़ी था, मैं चौथा गोल करने जा रही थी कि उस टीम की एक लड़की ने मुझे जानबूझकर पांव में हॉकी फंसा कर गिरा