अगले दिन मुकेश सर ने स्कूल आते से ही हॉकी सिखाने की तैयारी शुरू कर दी। बस फिर क्या था उन्होंने फटाफट एक कोच रौनक को ढूँढ लिया और स्कूल के मैदान में हॉकी खेलने की भी पूरी व्यवस्था कर ली। कुछ ही दिनों में स्कूल में हॉकी खेलने की प्रैक्टिस शुरू हो गई। आठवीं और नौवीं कक्षा से लड़कियों का चयन भी कर लिया गया। कोच रौनक ने लड़कियों को सिखाना शुरू कर दिया। वह यह देखकर दंग थे कि क्रांति तो जैसे पहले से खेल के बारे में सब कुछ जानती है। उसका खेल देखकर वह हैरान थे,