"व्हॉट वोझ घाट?" काव्या को केबिन में आता देख जय ने पूछा।"नथिंग।" काव्या मुस्कुराते हुए कहने लगी। "उन्होंने जो सोचा था वही हुआ। तो बस वही दिखाने के लिए उन्होंने बुलाया था।""सीरियसली..?" जय ने चिढ़ते हुए कहा।"आई आम सॉरी। यही पे लंच कर लेते है। प्लीज।" काव्या ने जय से कहा।"लंच से ज्यादा कुछ और इंपॉर्टेंट है शायद।" काव्या की बात सुन, उसे ताना देते हुए जय ने कहा।"हम यहा भी बात कर सकते है। नो वन विल डिस्टर्ब अस।""ठीक है।" जय ने खड़े होते हुए कहा, "चलिए, बैठ जाएं आप।" जय ने सहारे से काव्य को कुर्सी पे बिठाया।