द्वारावती - 82

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82क्षितिज के बिंदु पर चल रही उत्सव की जीवन यात्रा को दर्शाता पटल सहसा अदृश्य हो गया। गुल ने प्रश्नार्थ दृष्टि से उत्सव को देखा। उस प्रश्न का उत्तर केवल उत्सव के पास था। “आगे क्या हुआ, उत्सव?” “पश्चात तीन वर्ष तक भारत भ्रमण करता रहा। अनेक विद्वानों से मिला, अनेक नगरों में गया। मेरे प्रश्न मैं रखता, सभी अपनी मति अनुसार मुझे समझाने का प्रयास करते रहे। इस प्रक्रिया में कभी कभी वह स्वयं जो समझते थे उसे भी भूलने लगे। मुझे उत्तर चाहिए थे और वह समझाने लगते। किसी के पास उत्तर नहीं थे। इसी कड़ी में मैं यहाँ आ