80उत्सव जहां खड़ा था वह गोवर्धन परिक्रमा का प्रारम्भ बिंदु था। इस यात्रा के विषय में किसी ने उसे कहा था,“यह बाईस किलोमीटर लम्बी गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व है। दिवस रात्रि चलती रहती है। अब यहाँ तक आ गए हो तो परिक्रमा करके ही जाना।”उस बात को मानते हुए उत्सव ने गोवर्धन परिक्रमा करने का निश्चय कर लिया। मन में थोड़ी श्रद्धा, थोड़ी जिज्ञासा, थोड़ा कौतुक लेकर वह परिक्रमा के प्रारम्भ बिंदु पर आ गया। ‘बाईस किलो मीटर का अंतर, सीधे एवं सरल मार्ग पर। यदि एक घंटे में छः किलोमीटर चलूँगा तो भी चार घंटे में सम्पन्न हो जाएगी।’