खुले बोरवेल का मातम

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: आंसुओं से भरी एक सच्चाईचारों ओर घना अंधेरा था, और जमीन की गहरी खामोशी में एक मासूम आवाज गूंज रही थी, "मम्मा... मम्मा... मुझे बचा लो!" वह आवाज दर्द से कांप रही थी, जैसे कि वह अपनी आखिरी उम्मीद के साथ पुकार रहा हो। उसके शब्द हवा में खो जाते, लेकिन ऊपर, जमीन के उस पार, एक मां अपने घुटनों के बल बैठी बोरवेल के मुंह को पकड़े हुई थी, उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और वह लगातार चिल्ला रही थी, "मेरा बेटा आर्यन! कोई इसे बचा लो!"आर्यन का पिता, रामेश्वर, हमेशा मजबूत दिखने वाला, उस दिन