मुक्त - भाग 5

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-------मुक्त (5) मुक्त फर्ज से भाग के नहीं होता... फर्ज से भागो, इतना भागो, कि मुक्त हो सकोगे। कही लिखा है, मुक्क्ति का भाग जो खुदा तक जाए। फरजो से आपने किये कामो से मत भागो.... जो बना है उसमे ही चलते हुए खाक मे रल जाओ।युसफ खान लगातार मस्जिद का रुख करता था... और जा कर घर मे रात की बुसी भारी  रोटी जा बड़ा सा ब्रेड पेट भरने  तक खा लेता.. दूध बकरी का कभी उटनी का पी लेता था। बहुत चुप था। छोटी बेगम छोटे भाई की कल ही गयी थी।