मंजिले - भाग 13

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 -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ कहानी है।    चलती हुई ट्रेन की टक टक थक थक... चल सो चल  थी। कभी पटरी से ट्रेन के पहिये घिसते हुए टक टक टक करते गुज़ रहे थे.... फिर इज़न की कुक फिर जैसे स्पीड कम होती गयी.... लगे स्टेशन आ गया.... हाँ सच मे स्टेशन था। रूकती रूकती पांच से छे डिब्बे आगे निकल चुके थे.... जरनल डिब्बे... कम  लोग उतरे , जयादा चढ़ गए। गाड़ी टुसी गयी.. भाव भर गयी, पूरी एक से एक बढ़ के।एक भिखारी और एक आमीर लगे था... बाकी पता नहीं... उसके