शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 28

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"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल "( पार्ट -२८)रवि डॉक्टर शुभम को अपने पिताजी की हत्या के बारे में बताता है।अब आगे डॉक्टर शुभम:-"लेकिन रवि तुम्हें सच बताना चाहिए था। ऐसी घटना में खुद को बचाने के लिए किसी को बलि का बकरा नहीं बनाना चाहिए। तुम तो कह रहे थे कि हरि भी तुम्हारा दोस्त था। क्या तुम्हें दया नहीं आई,उसकी पत्नी और बच्चे पर?"रवि:- "डॉक्टर साहब, मुझे दया आ गई लेकिन मुझे घर पर माँ की देखभाल भी करनी थी। मैंने सोचा कि मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चाकू और छड़ी पर फिंगरप्रिंट रिपोर्ट के बाद बताऊंगा। पुलिस इंस्पेक्टर