दादीमा की कहानियाँ - 7

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पसंद आती हैँ तो comments करो, यहाँ तो मैं भाव का भूखा हु... आशीर्वाद दो, मेरा मन garden garden हो जाता हैँ. मेरा dopamine मजबूत हो जाता हैँ...*कुदरत के दो रास्ते**एक बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर रहे थे।* *एक सज्जन ने उसके पैर देखे; बहुत दुःख हुआ।* *वह भागकर गया, पास ही की एक दुकान से बूट लेकर के आया और कहा-बेटा! बूट पहन ले।* *लड़के ने फटाफट बूट पहने, बड़ा खुश हुआ और उस आदमी का हाथ पकड़ के कहने लगा-आप भगवान हो।**वह आदमी घबराकर बोला- नहीं... नहीं... बेटा! मैं भगवान नहीं।* *फिर लड़का बोला-जरूर