मंजिले - भाग 8

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            ------- (सच बोल रहे हो ) ----                आयो कुछ याद करा दू, हमने जो ज़ख्म खाये है, वो और नहीं हमारे लोग है। कितना सच बोल  सकते हो, बोलो। प्रयास करो, खुल कर बोलो,, बोल दो, बस।फिर देखो कैसे तोड़ दें गे तुम्हे लोग, कहे गे, एक और युधिष्ठिर पैदा हो गया है, कही जा कर ये कहो, " मैं चोर हुँ । " सच मे लोग हस पड़े गे, ये हम  मे आकर चोर कयो कह रहा है, हैरानी जनक सत्य। " सच, मैं मैंने जब