आखेट महल - 12

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बारह खेतों में ले जाकर काट के फेंक दें, कौन पकड़ने वाला है। साला हरामी, वो एक आदमी तो मुंशी को कह कर गया है कि सुबह मैं आ जाऊँगा जल्दी। चाबी भी साले ने हमारे सामने ही एक अखबार के कागज में लपेट कर कोने की मेज की दराज में डाल ली थी। महाबदमाश हैं साले.. बस बेटा! ये ही समझ, तेरे-मेरे पिछले जनम के कुछ हिसाब-किताब बाकी थे कि मेरा माथा घूम गया। मैंने कहा, शरीफ लड़का रहने-कमाने आ गया, उसकी ये दुर्गति। बस.. फिर तो जो हुआ तेरे सामने ही है। गौरांबर रात को देर तक दादा