आठ घण्टा भर बीतते-बीतते फिर गौरांबर की जेब में पच्चीस रुपये थे। स्टेशन पर अन्दर आकर सामान उठाने में वहाँ के लाइसेंसधारी कुली एतराज करते थे और किसी बाहरी व्यक्ति को सामान उठाने नहीं देते थे। परन्तु ट्रक के साथ उसे भी ट्रक का खलासी ही समझ कर वहाँ घूम रहे कुलियों ने कुछ नहीं कहा और गौरांबर की कमाई हो गयी। गौरांबर स्टेशन के भीतर चला गया। स्टेशन पर कोलाहल था। शायद अभी-अभी किसी गाड़ी के आने का सिग्नल हुआ था। गौरांबर वहाँ एक बैंच पर बैठ गया और यात्रियों की भागादौड़ी देखने लगा। एक-दो मिनटों में ही गाड़ी