मंजिले - भाग 6

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   ------( फैसला होके रहेगा )                                   कहानी सगरे मे एक मर्मिक  कहानी बेपरवाह कितने हो तुम, आज  इसका ही फैसला ही होगा।कच्चेरियो के चक्र काट काट कर बहुत केस बोलते ही रह जाते हैँ, लेकिन सुनवाई कभी नहीं होती हैँ, तो तरीख पे तारीख मिल जानी सबाविक हैँ। बहुत दुख देती हैँ गरीब की पुकार कभी कभी... उलटे पैर मुड़ना उसकी दरगाह तक  आवाज़ -----पुहच ही जाती हैँ।                       अमूली की पुकार बस उस परमात्मा