नज़रिया

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“माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध माँ को पुकारते हुए कहा। सड़क किनारे खड़े होकर साइकिल पर कुछ सामान बेच रहे एक व्यक्ति के पास जाकर वो वृद्धा रुकी और बोली “ये नज़रिया कै पैसे की दी” विक्रेता ने ठिठोली करते हुए कहा “पैसे नी रुपये, 40 रुपए की हैं। लेकिन यो समझ ले कैसी भी बुरी नज़र हो तेरे पोते को लगेगी भी नहीं” वृद्धा ने थोड़ा बुरा सा मुँह बनाया और अपने पल्लू की गांठ मे से पैसे निकाल कर उसे दे दिये। नज़रिया हाथ मे लेकर बूढ़ी की आँखो