लिव! लिव! लिव!

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(1)         "विभागाध्यक्षा की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी जहां सुधा अपने अगले पीरियड में पढ़ाए जाने वाले 'ज्वालामुखी' विषय के नोट्स पर नज़र फेर रही थी।         ईवल! ईवल! ईवल!         लिव ! लिव ! लिव !         सुधा ने मन ही मन दोहराया और मुस्कराई ।         पंद्रह दिन पहले अस्पताल से लौटकर जब वह अपने कमरे में कराही थी: ईवल ! ईवल ! ईवल ! तो अकस्मात् उस समय प्रकट हुआ