छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसका तो मानो दूसरा जन्म ही हो गया। आधी रात को चोरों की तरह छिपकर खुद शंभूसिंह उसे अपने साथ गाँव लाया, पर सवेरा होते ही गौरांबर को लगा, मानो वह बरसों बाद, अपने माँ-बाप के बीच, अपने घर पहुँच गया हो।गौरांबर की आँख खुलते ही वह घर, घर जैसा लगने लगा, जिसकी महीनों से उसे आदत ही छूट गयी थी। अगली सुबह शंभूसिंह ने उसे खुद जब जाकर उठाया, गौरांबर ने जैसे किसी नवाब की तरह आँखें खोलीं। उसे अपने पर, दिख रहे मंजर पर और गुजरी रात के वजूद पर जैसे एतबार नहीं आया। शंभूसिंह ने