जिंदगी

  • 1.2k
  • 408

खुद के एहसासों को कुछ इस तरह बिखेरना चाहती हूमैं रहूं तुझमें और खुद को खोने के बाद भी तुम्हें पाना चाहती हूं .....एहसास खुद के लिए कुछ महसूस करना चाहती हूंबिन बुलाए आंसुओं के साथ भी खिलखिला कर मुस्कुराना चाहती हूं.....चांद से शिकायत करूं खुद की या बेजुबान बन जाऊंकहूं खुद से तेरा इंतजार ... बस तेरा इंतेजार करूं ....आज बात मैं खुद की करूंगी और खुद की एहसासों की..... जिंदगी के भागती दौड़ती वक्त के पहिए के सहारे चल रही हूं .....खुद को मानो जैसे वादा कर वक्त देना भूल गई हूं .....ये कहानी सिर्फ मेरी नही और