स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 7

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गर्भ संस्कार — 2 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु में भावनात्मक और आध्यात्मिक गुणों का विकास) मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूँ …… माँ!आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ महानतम गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हें परमात्मा का अनमोल उपहार हैं प्रेम स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण तुम्हारा हृदय भी प्रेम से भरपूर है, तुम्हारी हर अदा में परमात्मा का प्रेम झलकता है। तुम्हारे हृदय में सम्पूर्ण मानवमात्र के प्रति समभाव है। तुम्हारा हृदय सबके लिए दया और करुणा से भरपूर रहता है। क्षमाशीलता के गुण के कारण सभी तुम्हारा सम्मान करते हैं,