द्वारावती - 70

  • 708
  • 255

70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न दृष्टिगोचर हो रहा था। बालक की भाँति वह कुछ कहना चाहता था किंतु उसकी भाषा न तो गुल को, न ही उत्सव को समज आ रही थी। “उत्सव, तुम नगर भ्रमण अधूरा छोड़कर क्यों लौट आए?” गुल ने अपनी भाषा में मौन तौड़ा। उत्सव ने कोई उत्तर नहीं दिया। गुल ने पुन: पूछा तब उत्सव बोला,“मैं विचलित हो गया हूँ, गुल। जो देखा, जो सुना, जो अनुभव किया पश्चात उसके मन का विचलित होना सहज है ना?”“उत्सव, तुम तो धैर्य को धारण करके रखो। मानसिक स्थिरता तुम्हारा गुण रहा