जंगल - भाग 10

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बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं हम एक दूसरे को कब के जानते है, कोई नहीं जानता, जैसे कुछ रह गया, जो हम  मिल ले, काम पूरा करे।  इसका दंड युद्ध चलता ही रहता हैऐसे ही राहुल वो लड़की को मिल कर जैसे माधुरी के चित्र मे खो गया। हुँ भु वैसे ही , एक पत्नी एक लड़की... जो इस दुनिया मे नहीं, पर कारज करता भी खूब शतरज खेलता है।हैरान हुँ, "कितना ही " वो भावक सी एक मूर्त सी लगी थी। नैन नक्श एक दम कॉपी थे। कोई