आज़ादी

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  एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव के किनारे एक चरवाहा अपने झुंड की भेड़ों को लेकर रहता था। उसकी भेड़ें उसके लिए केवल पशु नहीं थीं, बल्कि उसके परिवार जैसी थीं। हर शाम, चरवाहा बड़े प्रेम से अपनी भेड़ों को हरी-भरी वादियों में चराता और जब सूरज ढलता, तो वह उन्हें सुरक्षित बाड़े में पहुँचा देता। वहाँ वह दरवाजों को बंद कर देता ताकि रात के अंधेरे में कोई भेड़िया या अन्य शिकारी उनके पास न पहुँच सके। एक रात, जंगल के भूखे भेड़िए बाड़े के पास आए। उन्होंने हर तरफ से देखा, लेकिन बाड़ा मज़बूत