आभासी दुनिया को अलविदा

  • 996
  • 369

            रजनी की शादी हुए अभी डेढ़-दो साल ही गुजरे थे। वह दांपत्य की खुशियाँ और मनचाहे आउटिंग्स का सुख भी नहीं ले पाई थी। योजनाएँ तो मारिशस, सिंगापुर, दुबई जैसे शहरों तक जाने की थीं, परंतु दुर्योग किसने जाना है। एक दिन कार्यालय से घर लौटते वक्त एक ज़बरदस्त एक्सीडेण्ट में उसके पति की मौके पर ही मृत्यु हो गई।             कुछ महीने शोक और उदासी के उपरांत सब कुछ धीरे-धीरे सामान्य हो चला था। रजनी का नियमित सुबह कार्यालय जाने और शाम को घर वापस आने का क्रम शुरु हो गया था। रजनी एक महिला