नंबर ५४२

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एक क़स्बे में एक धार्मिक धनी सेठ रहते थे, सरल स्वभाव,मृदुभाषी, समाज में नाम, ३ बेटों के पिता, सुबह ४ बजे उठना पूजा पाठ कर दुकान जाना. सेठ जी का ये रोज़ाना का नियम था.समय की अपनी एक रफ़्तार हैं जिसको आज तक कोई नहीं रोक पाया, सेठ ने अपने बड़े बेटे की शादी करते ही एक दुकान और मकान दे दिया,दूसरे बेटे की भी शादी करते ही उसको भी दुकान और एक नया मकान दे दिया, सेठ जी का व्यापार भी बहुत बढ़ गया,सेठ ने सबसे छोटे बेटे की शादी के बाद अपने साथ व्यापार में लगा लिया और