शून्य से शून्य तक - भाग 73

  • 375
  • 90

73===   मन बहुत विचलित था मनु का, उसने ऑफ़िस जाकर सबसे पहले अनिकेत से सब बातें खुलकर बता दीं| वह भी तो अब परिवार का सदस्य ही तो था| अनिकेत ने कहा; “दादा!सब आपकी परिस्थिति समझते हैं| आप वही करें जो डैडी चाहते हैं| ”अनिकेत ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा| अनन्या भी इस समय वहाँ उपस्थित थी , उसकी समझ में भी कुछ नहीं आ रहा था| वह हाँ, न के हिंडोले में झूल रही थी| उसकी माँ भी उससे हर दिन इस विषय पर बात करती रहती थीं| वह उनको भी कोई उत्तर नहीं दे पाती थी|