कामवासना से प्रेम तक - भाग - 5

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मुकेश:- मैं कल फ्री हूं तो मिलते हैं कल डिनर पर, ऐसा करो तुम चाहें छुट्टी ले लो।अजय:- पर छुट्टी सर /आप तो रात में आ रहे हों।मुकेश:- हां भाई एक दिन तो मेनेज हो ही जाएगा अजय:-जी सर।" अजय घर पहुंचकर शेफाली से सभी बात बतलाता हैं, और कल रात अच्छा खाना बनाने को कहता हैं, अजय शेफाली की तरफ देख उसे अपनी बाहों में भरता ,तभी शेफाली कहती आज मन नहीं हैं ,रहने दो, परंतु अजय जबरन अपनी शारीरिक इच्छा पूरी करता, शेफाली उसे मना करती तो वह अपनी जबरदस्ती से भरी मर्दानगी दिखाता, शेफाली की ख़ामोशी और आंखों में पानी,शायद अजय