शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 9

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" शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -९)जब कोई व्यक्ति किसी का भला करने का प्रयास कर रहा होता है तो विघ्नों का सामना करना पड़ता है।इंसान की कुछ यादें चाहे अच्छी हों या दुखद, भुलाई नहीं जा सकतीं।..............शुभम को अपने भाई की याद आती है।भाई की दवाई के लिए शहर में जाते हैं।अस्पताल के बाहर खिलौने के लिए सोहन ज़िद करता है और गुस्सा हो जाता है।अब आगे....सोहन की आंखें लाल होने लगीं, वह जोर से चिल्लाया कि मुझे गुब्बारे चाहिए।माँ ने शांत रहने की कोशिश की.लेकिन गुस्साए भाई नहीं माने.उसने झट से माँ का हाथ छोड़ दिया