सन्यासी -- भाग - 28

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और फिर उसने फौरन ही चूल्हा बालकर बैंगन और टमाटर भुनने को रख दिए और जयन्त से बोली...."आप थोड़ी देर रुकिए,मैं बगल वाले खेत से ताजा धनिया और ताजी हरी मिर्च लेकर आती हूँ,तभी तो हरी चटनी खाने का मज़ा आएगा"    और फिर आँची जब तक धनिया और मिर्च लेकर आई तब तक बैंगन और टमाटर भुन चुके थे,फिर उसने सिलबट्टे पर ताजे धनिये,अदरक,लहसुन और ताजी मिर्च की चटनी पीसी,भुने हुए बैंगन और टमाटर के छिलकों को छीनकर भरता बनाया,इसके बाद एक छोटी सी मटकी में उसने ताजा छाछ लिया उसमें नमक मिर्च डाला और एक मिट्टी के दिए को