शून्य से शून्य तक - भाग 69

69=== आज समय मिलते ही मनु ने अनन्या का हाथ अपने हाथों में लिया और प्यार से सहला दिया| वह जानता था कि चाहे अनन्या उससे कुछ भी शिकायत न करे किन्तु अंदर से बहुत उदास व चिंता से भरी हुई है| स्वाभाविक भी होता है| हमारा भारतीय समाज चाहे कितना भी स्वतंत्र क्यों न हो जाए एक अविवाहित लड़की के माँ बनने को कभी स्वीकार नहीं कर पाता| जबकि आज का समय बहुत अलग हो गया है, लोग अपने आपको मॉडर्न कहलाने में शेखी समझने लगे हैं लेकिन मॉडर्न होना कपड़ों, गहनों या बड़ी गाड़ियों और बंगलों से नहीं