62=== “अंकल!प्लीज़ अदरवाइज़ मत लीजिए, बहुत दिनों से हम उधर की तरफ़ निकले भी नहीं हैं, चौकीदार तो है पर कैसी सफ़ाई वगैरह होती है, यह तो हमें वहाँ जाकर देखना चाहिए, माली ने भी गार्डन कैसे मेन्टेन किया है? कभी-कभी वहाँ कोई रहे तो इन लोगों को भी ध्यान रहता है| ” फिर कुछ ठहरकर बोला; “कोई बात नहीं, आशी का मन नहीं है तो न सही, मैं एक दिन चक्कर लगाकर आ जाऊँगा| ”उसने देखा दीना अंकल बहुत मुरझा गए थे| वह उनका मूड ठीक करना चाहता था| “मैं और रेशमा संडे को चले जाते हैं, कुछ दिन