सावन का फोड़ - 2

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बाढ़ कि बिगड़ती स्थिति से बेबस लाचार प्रशासन अपनी पूरी क्षमता एव संसाधनों से आम जन को राहत पहुंचाने कि पूरी ईमानदारी से कोशिश कर रहा था लेकिन निरंतर हो रहीं बारिस से कोइ भी प्रयास कारगर नहीं हो रहा था बल्की हालत और बिगाड़ते जा रहे थे. आद्य प्रसाद एव रजवंत किसी भी चमत्कार की आश मे सब कुछ लूट जाने के बाद भी प्रति दिन अपने संतानो कि कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहते।कहते है मनुष्य अक़्सर सब कुछ जानते हुए भी अत्यधिक आशावादी होता हैं लेकिन ईश्वर एव काल समय का न्याय सर्वोपरि होता है