57=== अगली सुबह फिर वैसी ही थी, रोज़ के जैसी, सबने साथ में नाश्ता किया| आशिमा नाश्ते की मेज़ पर ही आशी के लिए लाए हुए उपहार लेकर आ गई थी| क्या भरोसा, आशी दीदी नाश्ता करके नीचे से ही ऑफ़िस के लिए निकल जाएं, उनका बैग उनके हाथ में था जिसे आशिमा ने देख लिया था| उसने दो सुंदर वैस्टर्न ड्रैसेज़ और एक प्लेटिनम का बड़ा नफ़ीस सा नैकलेस आशी को दिया| “बहुत सुंदर है, वैरी डैलीकेट !” उसने प्रशंसा की लेकिन फिर बोली; “तुम जानती हो, मैं कहाँ ये सब पहनती हूँ ? ”कहकर डिब्बा बंद करके आशिमा