ब्रुन्धा--एक रुदाली--भाग(३)

  • 1.5k
  • 780

ठाकुराइन पन्ना देवी के जाते ही ठाकुर साहब किशना से बोले.... "किशना! कसम खाकर कहता हूँ अगर मुझे अपनी दौलत जाने का डर ना होता ना तो मैं आज ही इस औरत का खून कर देता" "छोड़िए ना ठाकुर साहब! जब आप जानते हैं कि उनकी आदत ही ऐसी है तो क्यों उनकी बातों को अपने दिल से लगाते हैं",किशना ठाकुर साहब से बोला... "तू ठाकुराइन की ज्यादा तरफदारी मत किया कर,याद रख तू हमारा दिया खाता है",ठाकुर साहब गुस्से से बोले... "जानता हूँ हुकुम! तभी तो आज तक आपकी देहरी छोड़कर कहीं और नहीं गया,गाँव के कित्ते लोग परदेश