पर्दाफाश - भाग - 7

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पत्र पढ़ने के बाद वंदना ने उसे अपने पास रख लिया। इस समय उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मानो उसका दिमाग शून्य में चला गया था। तभी द्वार पर दस्तक हुई, वंदना अपनी आंखों के आंसुओं को छुपाने का जतन करती हुई उन्हें दुपट्टे से पोछती हुई बाहर गई और दरवाज़ा खोला सामने पार्वती खड़ी थी। अपनी माँ को अचानक सामने देखकर वंदना उनसे लिपटकर रोने लगी और रोते-रोते उसने पूछा, "माँ आप अचानक यहाँ कैसे? सब ठीक तो है ना?" पार्वती ने कहा, "अरे, वहाँ सब ठीक है पर तुझे क्या हुआ है?" यह पूछते