माफ कर देता हूँ, भूलता नही.. ●●फ्रायड कहता है- हर एक्शन के मूल में कुछ मूलभूत स्वार्थ होते है। लालच, नफरत, वासना और भय.. मूल स्वाभाविक गुण, जिनके साथ मनुष्य पैदा होता है। और सम्पूर्ण जीवन की यात्रा इन्हें साधने, या ढंकने की होती है। ●●जो ढंक ले, साध ले, वह सुंदर है। जो न ढंक पाया , वह नग्न है। यथावत उतना ही नंगा, जैसा वह पैदा हुआ था। शिक्षा, संस्कार, दर्शनशास्त्र, धर्म ( पंथ नही) आपको ढंकना सिखाते हैं, वस्त्र पहनाते हैं। सुंदर बनाते हैं। क्योकि कपड़े इंसान ने सुंदर दिखने के लिए पहनना शुरू किया, ठंड वंड