काश हम भविष्य देख पाते

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अपने सात बेटों और दो पोतो की चिता को अग्नि देते हुए अमर बहादुर शर्मा सोचता है काश! मैं भविष्य देख पाता तो मेरे बेटे और पोते आज जिंदा होते यही बात जहांगीर खान अपने नौ बेटे और पांच पोतो को दफनाते हुए सोचता है कि काश! में अपना मुस्तकबिल देख पता तो मेरे खुशहाल परिवार का इतना दर्दनाक दहशत से भर अंत नहीं होता।अमर बहादुर शर्मा जहांगीर खान बचपन के मित्र थे, दोनों एक दूसरे के सुख-दुख के सच्चे साथी थे, जहांगीर खान दिवाली होली आदि त्यौहार आने से पहले जिस उत्साह खुशी से उन त्योहारों के आने का