किस्मत ने बांधा (एक डोर से)

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1.आज रास्ते में देखा उसे,सब बदला बदला सा लगा,वो जो सबकुछ हुआ करता था कभी,दुनियां की तरह अजनबी सा लगा,रात दिन जिसकी आस रहती थी कभी,वो अब मुझे मेरी तिश्नगी नहीं लगा...2.एक सहारा तुम्हारा मिल जाए,मनुष्य जीवन ये तर जाए,जिसने चाहत की सावरे की,चरणों का परमधाम मिल जाए,बांसुरी कान्हा आज कुछ ऐसी बजाओ,कुछ यूं अपना स्नेह बरसाओ,लोक परलोक से हमारा,आना और जाना थम जाए...3.आंखें भी इक ज़बान रखती हैं,अफसाने बसा के बेहिसाब रखती हैं,रखती हैं एक दिल,अपने अंदर बसा के,दिल की हर धड़कन का हिसाब रखती हैं...4.आग सी ज़िंदगी,बेबाक सी ज़िंदगी,कांटे हैं तो क्या,फ़िर भी गुलाब सी ज़िंदगी... 5.दो दिन