अवसर दस्तक ज़रूर देता हैं पर पता नहीं किस मोड़ पर ….

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केशर गढ़ के राजा बड़े ही धार्मिक व दयालु प्रवृति के इंसान थे,महीने २ महीने में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए दौरा करते थे, जो भी कुछ कमी देखते उसको हमेशा पूरा करते,लोगो से मिलते उनकी समस्याओं का समाधान करते. जैसे ही राजा आगे चले दूर एक व्यक्ति एकांत बड़ के पेड़ के नीचे सुस्त बैठा हुआ था.राजा अपने रथ से उतर कर उस व्यक्ति के पास पहुँच कर उस से बात की और बात सुनकर,अपने सेना पति से बोले,ये बढ़ई हैं, सेनापति राजा की बात समझ गये थे. राजा ने बढ़ई से कहा कल तुम महल में