सोने के कंगन - भाग - ७

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एक दिन सारिका रजत के साथ घूमने जा रही थी। वे दोनों तैयार होकर जैसे ही नीचे आए सारिका के कदम कार पार्किंग की तरफ़ मुड़ गए। परंतु ये क्या …? पार्किंग से कार नदारद थी। उसने चौंकते हुए रजत को आवाज़ लगाई, “रजत देखो अपनी कार यहाँ नहीं है।” रजत ने कहा, “अरे हाँ कार सर्विसिंग के लिए गई है। मैं तुम्हें बताना भूल गया।” रजत की आवाज़ में विश्वास कम और डर ज़्यादा झलक रहा था। उसने कहा, “चलो हम स्कूटर से चलते हैं।” “हाँ ठीक है चलो। वैसे कार कब तक वापस आएगी?” “पता नहीं सारिका तीन-चार