क़िस्सा 1930 का

  • 2.5k
  • 837

वाजिद हुसैन की कहानी 12 मार्च 1930 को एक यात्रा शुरू हुई थी। एक ऐसी यात्रा जिसने सारी दुनिया को दिखाया, कि कैसे 80 लोगों की निहत्थी सेना अपने अहिंसक सत्याग्रह के रास्ते चलकर दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त को धूल चटा सकती है। उस समय रघुवीर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था। दांडी यात्रा उसके स्कूल के सामने से गुज़री थी। वह हिंसा, अहिंसा, सत्याग्रह आदि समझने लायक बड़ा नहीं हुआ था। उसने स्वयं देखा था - घोड़े पर बैठा एक गोरा दरोगा और कुछ सिपाही यात्रा पर निकले निहत्थे लोगों पर लाठियां बरसा रहे थे और आगे