डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ - 4

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 04धरती के भगवान"माँ, माँ, मैंने अभी-अभी सपने में देखा कि भगवान जी हम लोगों को अपनी गोद में उठाकर दादा जी के गाँव छोड़ आए हैं। आप कहती थीं न कि सुबह का देखा सपना सच होता है। क्या मेरा सपना भी सच होगा ?" माँ की गोद में ही सोकर उठने के बाद आँख मलते हुए चार वर्षीय बेटे ने कहा।"हाँ बेटा, धरती के कुछ भगवानों की बदौलत हम लोग हवाई जहाज से अपने शहर पहुंच चुके हैं। तुम गहरी नींद में थे। इसलिए जगाया नहीं। पीछे देखो, हमारे शहर का एयरपोर्ट। अब