अमीरी और गरीबी किताब के दो पन्ने। - 2

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फिर वह साधु की बात सुनकर आश्चर्य में पड़ जाता हैं की मैने घर को त्याग दिया और संन्यासी बन जायुगा तो मेरे परिवार का क्या होगा ? वह मेरे बिना कैसे जीवनयापन करेंगे और उनका क्या होगा ? यदि मैने साधु की बात नही मानी तो साधु से किया वादा टूट जाएगा और में अपने दोस्त के बिना भी नही जी पाऊंगा । और इस तरह से वह मन में विचार करता हैं क्या किया जाए तब वह दिल की आवाज सुनकर साधु से बोलता हैं की मुझे आपकी बात मंजूर हैं ।तब वह साधु से बोलता हैं की