एहिवात - भाग 3

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आदिवासी नौजवानों एव जंगा के अथक प्रयास से विल्सन स्वस्थ होने लगा वह आदिवासी भाषा नही समझ पा रहा था टूटी फूटी हिंदी बोल पा रहा था लेकिन वह भोले भाले आदिवासियों कि भावनाओं प्यार सेवा को अंतर्मन कि गहराई से समझ रहा था ।दुख था तो अपनी संवेदनाओ कि अभिव्यक्ति न हो पाने का उसे पता था कि हिंदुस्तान में हाथ जोड़ कर किसी को सम्मान दिया जाता है और पैर छूकर बुजुर्ग बड़ो का और गले लगा कर बराबरी वालो का वह यही करता आदि वासी समाज का भोजन था बड़े चाव से खाता तीखा जुझारू सौभाग्य बड़े