गुमशुदा की तलाश

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उसने रोज की तरह टीवी लगाया, तभी पीछे से धवल की आवाज़ आयी," लो हो गयी शुरू मम्मी की गुमशुदा की तलाश!" किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी,स्वयं उसने भी नहीं।उसका इस समय पर टीवी लगाना और उसी समय किसी न किसी का टिप्पणी करना नियम ही बन गया है।इसलिए प्रतिक्रिया अपेक्षित भी नहीं है।वह सोफे पर बैठ गयी, पाँव मूढ़े पर फैला कर टिका दिये।वह अब भी दूरदर्शन देखती है!डिश और इंटरनेट के ज़माने में?इस प्रश्न के उत्तर स्वरूप भी प्रतिक्रिया देने के लिए वह बाध्य नहीं रही।नियम की तरह पूछे जाने वाले प्रश्नों पर नियमित उत्तर कब तक