एक था बर्ड

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एक था बर्ड। बर्ड बड़ा था, तो बड़ा वाला बर्डवादी भी था.. आत्मानुभूति से शिक्षाएं लेता था, और देता भी था। उड़ता था नील गगन में , ऊंचे ऊंचे आसमान में। बाहें फैलाये, खुला आकाश.. मंद मंद पवन। ●●सब कुछ माकूल चल रहा था कि एक नामाकूल बादल आ गया। नामाकूल मने कि... बहुते ठंडा ठंडा कूलम कूल। नियम तो कहता था कि क्लाउड को अवॉइड कर। लेकिन बर्ड जी को लगा, कि बेनिफिट ले सकते हैं, तो घुस गए क्लाउड में।घुसते ही बर्ड जी की कुल्फी जम गई। बन गए बर्फ की डली, और डली आसमां से जमीं की